Na Tha Kuch To Khuda Tha, Kuch Na Hota To Khuda Hota,
Duboya Mujh Ko Hone Ne, Na Hota Main To Kya Hota,
Hua Jab Gham Se Yoon Behis To Gham Kya Sar Ke Katne Ka,
Na Hota Gar Juda Tan Se To Janoo Par Dhara Hota,
Huyi Muddat Ke ‘Ghalib’ Mar Gaya Par Yaad Aata Hai,
Woh Har Ek Baat Pe Kehna Ke Yoon Hota To Kya Hota. .!!
ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता
ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता
डुबोया मुझ को होने ने, ना होता मैं तो क्या होता
हुआ जब गम से यूँ बेहीस तो गम क्या सर के काटने का
ना होता गर जुदा तन से तो जानूँ पर धारा होता
हुई मुद्दत के ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है
वो हर एक बात पे कहना के यूँ होता तो क्या होता. .!!
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